12 Oct 2009

ओजोण शोषण

एक साधाराण ऑक्सीजन कण में दो ऑक्सीजन परमाणु होते हैं। एक ओजोण कण में तीन ऑक्सीजन परमाणु हैं। रोशनाई रासायनिक परिचालन और बिजली की निर्वहण का फलस्वरूप हे प्रकृति में पैदा होने वाला ये ओजोण । वातावरण में देखनेवाला एक पतला परत हैं ओजोण और इससे भूमि सुरक्षित हैं । यह सूर्य की पाराबैंगनी किरनों के दुष्य भाव से पृथ्वी के जीव जन्तुवों और वनास्पतिओ की रक्षा करती हैं ।
आज इसका शोषण हो रहा हैं इसका कारण अनेक हैं । सन १९७९ से ही पहचान लिया हे कि सी. एफ . सी ओजोण परत को पृथककरण करता हैं । ये सी एफ सी - दियोदारांत स्प्रे आदि में हैं। इसके अलावा रफ्रिजिरेटर ए .सी आदि से भी हैं । ये वातावरण में फैलता हैं। ऊपर आते समय सूर्य की पाराबैंगनी किरणों से इस का पृथककरण हो रहा हैं। ताब स्वतंत्र होनेवाला क्लोरिन परमाणु ओजोण के एक ऑक्सीजन परमाणु में मिलजुलकर क्लोरिन ओक्सैड पैदा हो जाता हैं । इससे ओजोण ऑक्सीजन के रूप में बदल जाता हैं । इस प्रकार ओजोण परत का शोषण हो रहा हैं । ओजोण परत के शोषण से अधिकाधिक पराबैंगानिक किरण भूमि पर आता हैं। इससे गर्मी बढ़ती हैं , मौसम में परिवर्तन आता हैं। जीवियों के जीवन चक्र ही बदल जा रही हैं। अर्बुद , मोतियाबिंद आदि बिमारियाम फ़ैल जाती हैं।
ओजोण शोषण से सम्बन्धित कयी गोष्ठियाम चली। लेकिन इसमें लिए गए परामरशोम की अधिशासन में कई राष्ट्रों ने शोर न दिया। सी.एफ.सी के बदल और कोई चीज़ नही हैं। इसलिए इस का उपयोग आज बढती जा रही हे। अथवा इसका उपयोग बंद कर दिया जाएँ तो भी वातावरण से इस का तिरोभाव सौ वर्षों के अन्दर सम्भव नहीं हैं।

श्रीजा रवि
कक्षा १० सी

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