9 Oct 2009

तोड़ती पत्थर - एक आस्वादन

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिन्दी साहित्य जगत के छायावादी कवि हैंउनकी एक प्रमुख कविता हैं - तोडती पत्थर। इस में कवि समाज की असमानता की और संकेत करता हैं
इलहाबाद के पथ पर कठिन धुप में बैठ कर एक तोडती पत्थर अपना काम कर रही हैंसाफ़ कपडा पहनेवाले कवि को देखकर वह अपनी निर्भाग्य के बारे में सोचती हैं से अपने काम में मग्न हो जाती हैं
इस कविता पाठकों को गहराई में सोचने की प्रेरणा देती हैंइस कविता में एक तोडती पत्थर की दयनीय स्थिती का चित्र हैंयह दिलचस्पी हैंदूसरों की रनि वह नहीं चाहतीअपनी दुर्दशा में भी वह अपनी पैरों पर खडे होने की कोशिश कर रहीधनि और गरीब के बीच का अन्तर हैं - यह महल

2 comments:

  1. I congratulate with pleasure for your first effert.
    By P.Abdul Khader,HSA GHS Karakurissi

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  2. good attempt by the faculty. pls develop urs skill in hindi wikipedea and malayalam wikipedea

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