18 Nov 2009

नारी

हे नारी तुझ में हें ताकत
बन्धनों को तोड़ने की
हे प्यारी तुझ में हे हिम्मत
असमान को छुने की
हे नारी तुझ में हे क्षमता
इस दुनिया को चलाने की
हे जननी तुझ में ही शक्ती
नई जन्म देने की
हे स्त्री तुझ में ही बुद्धि
अपनी ज़िन्दगी पहचानने की

1 comment:

  1. अच्छा प्रयास है शुभकामनायें

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